लेखिका : उषा मस्तानी
इस बीच रेखा का मोबाइल बजा।
रेखा बोली- मेरे पति का है !
मैंने लण्ड बाहर खींच लिया तो रेखा बोली- घुसाए रखो ! निकालते क्यों हो? तुमसे चुदते हुए पति से बतियाने का मज़ा ही अलग है।
मैंने उसकी चूत में लण्ड दुबारा घुसा दिया, धीरे धीरे मेरा लौड़ा उसकी चूत चोद रहा था। रेखा ने फ़ोन उठा लिया।
रेखा फ़ोन पर बोली- डार्लिंग कैसे हो?
रेखा ने स्पीकर फ़ोन ऑन कर दिया था। उधर से एक पप्पी की आवाज़ आई और उसके पति ने कहा- रानी, मुझे तो तुम्हारे बिना नींद नहीं आ रही ! लौड़ा हाथ में पकड़े हुए हूँ। तुम क्या कर रही हो? रेखा बोली- चुदवा रही हूँ ! चूत में लण्ड डलवा रखा है ! मज़े कर रही हूँ ! तुम्हारे से दुगना बड़ा है हरामी का ! पूरी चूत फाड़ रखी है कुत्ते ने।
उसके पति ने पूछा- कहाँ से पकड़ लिया?
रेखा बोली- सड़क पर अँधेरे में खड़ी हो गई थी ब्लाउज के बटन खोल कर ! साले ने 5000 में ख़रीदा है।
"कुतिया, तुझे एड्स हो जायेगा।"
रेखा बोली- अच्छी बात है। मर जाऊँगी, चूत की खाज़ तो मिटेगी साले ! लेकिन तुझे भी साथ लेकर मरूँगी।
उनकी बातें सुन कर मेरा लण्ड उसकी चूत थोड़ी तेजी से चोदने लगा।
रेखा बोली- रण्डी बना दिया है तूने ! पहले तेरी मूंगफली से ही खुश हो लेती थी। अब तो तू महीने में बीस-बीस दिन बाहर रहने लगा है, कितने दिन तक बैंगन डालूँगी चूत में?
उसका पति बोला- रानी, इस बार माफ़ कर दो, अगला टूर दो महीने बाद है।
रेखा बोली- ओह ! ओह ! यानी अब दो महीने तक तुम्हारी बीवी बनकर रहना पड़ेगा? हैं? लेकिन अब तो मुझे मोटे मोटे लण्डों से चुदने की आदत पड़ गई है। अच्छा, अब सो जाओ ! मुझे चुदवाने दो बहुत मज़ा आ रहा है !
रेखा ने फ़ोन काट दिया। मैंने उसकी चूची दबाते हुए तेज धक्कों से उसे चोदना शुरू कर दिया।
रेखा बोली- साला अभी एक बार और फ़ोन करेगा।
दो मिनट बाद ही घंटी फिर आ गई। मैंने रेखा को पूरा मसल रखा था, उसने फ़ोन उठाया और बोली- भोंसड़ी के ! नींद नहीं आ रही तुझे?
उसका पति बोला- डार्लिंग, तुम्हारी बातें सुनकर लण्ड चूत में डालने का बहुत मन कर रहा है।
रेखा बोली- डाल दे हरामी !
मेरा लण्ड उसकी चूत में दौड़ ही रहा था, रेखा अब चुदाई की आह ऊह आह भरने लगी और अपने पति से बोली- मज़ा आ रहा है ! वाह, क्या चोदा है तूने ! चल हरामी अब सो जा।
उसका आदमी बोला- रानी, तुम्हारी पप्पी के बिना कहाँ नींद आएगी?
रेखा मुस्कुराते हुए बोली- कहाँ चाहिये?
वो बोला- मुझे नहीं, तुम्हारे शेर को चाहिए !
रेखा ने एक पुच की आवाज़ की और बोली- लो मिल गई, अब सो जाओ।
और उसने फ़ोन काट दिया और अपनी गर्दन घुमा कर मेरे होंठों में अपने होंठ डाल दिए। इसके बाद मैंने रेखा को उल्टा किया और उसकी गाण्ड से लण्ड छुलाते हुए लण्ड उसकी चूत में घुसा दिया और जोर के धक्कों के साथ उसकी चुदाई शुरू कर दी। रेखा पूरे मज़े लेते हुए अब लण्ड से चुद रही थी। मैंने पीछे से रेखा की चुदाई करीब आधे घंटे लण्ड तेज और धीरे करते हुए की और उसकी चूत अपने वीर्य से भर दी. रेखा इस बीच मस्ती भरी आहें भरती रही, इसके बाद दो बजे रात को हम सो गए।
सुबह सात बजे रेखा उठी और मेरे लण्ड को अपने हाथ से पकड़ कर अपनी चूत से लगाने लगी, बोली- सच राजीव ! तुमने तो कल रात मुझे मस्त कर दिया ! एक बार और चोद दो, पता नहीं दुबारा कब चुदने को मिले?
और उसने मुझसे चिपक कर मेरा लण्ड अपनी चूत में घुसा लिया।
तभी सरीना कमरे में आ गई और मुस्कुरा कर बोली- अरे ! उठते ही शुरू हो गई? सच राजीव का लण्ड है ही इतना सुन्दर ! चोदो कुतिया को ! कल इसके अतुल ने रात में दो बार मेरी गाण्ड और दो ही बार मेरी चूत फाड़ी ! तुम इसे चोदो, मैं अतुल को बुला कर लाती हूँ और दिखाती हूँ कि चुदाई कैसे होती है। इसे अपनी गोद में बैठा कर चोदो ताकि यह सामने शीशे में अपनी चूत में लण्ड घुसता हुआ देख सके और मस्तियाए।
मुझे सरीना की बात सही लगी, मैंने पलंग से टेक लगा ली और रेखा को अपने लण्ड पर बैठने को कहा।रेखा गर्मा रही थी, वो मेरे लण्ड पर चढ़ गई, थोड़ा नींद में होने के कारण उसकी चूत में लण्ड घुस नहीं पा रहा था, सरीना ने उसकी चूत चौड़ी की और अपने हाथ से पकड़ कर मेरा लण्ड उसकी चूत में घुसा दिया। अब रेखा का मुँह पलंग के सामने लगे शीशे की तरफ था अपनी चूत में घुसा लण्ड वो आराम से देख सकती थी।
रेखा को मैंने अपने लण्ड पर उछालना शुरू कर दिया और उसकी चूचियाँ कस कस कर मसलने लगा। अपनी चुदती हुई चूत वो आराम से शीशे में देख रही थी, सामने शीशे में अपने को चुदते हुए देखकर रेखा शर्माने का नाटक करने लगी।
मैंने उसके दोनों हाथ अपने गले के पीछे ले जाकर बांध लिए और बोला- कुतिया, रंडी ! जरा अपनी गेंदें तो देख धक्के लगने से ऐसे उछल रहीं हैं जैसे कि निकल कर इस शीशे पर ही गिर जाएँगी।
रेखा बोली- जरा इनकी घुन्डियाँ मसल दो, आज सारे मज़े ले लेने दो ! क्या हसीं सुबह है।
मैंने उसकी दोनों घुण्डियों को उँगलियों से उमेठना शुरू कर दिया और रेखा बेशर्म होकर मेरे लौड़े पर उछलने लगी और सिसकारियाँ भरने लगी।
सरीना अतुल के साथ अंदर आ गई थी और एक तरफ खड़े होकर यह सब देख रही थी, दोनों पूरे नंगे थे अतुल का लौड़ा तन रहा था।
सरीना ने ताली बजाते हुए कहा- वाह राजीव जी, मज़ा आ गया ! क्या अतुल जी के माल को चोदा है।
अब मैंने रखा को पलंग पर झुका दिया और घोड़ी बनी रेखा की चूत में अपना लण्ड दौड़ाया।
रेखा अतुल से बोली- अतुल, मेरे मुँह में लौड़ा डाल दो, सच में दो लण्डों से मज़ा दुगना हो जायेगा।
अतुल ने आगे बढ़कर अपना लण्ड उसके मुँह में ठोंक दिया। अब रेखा की चूत और मुँह दोनों में लण्ड चल रहे थे, सरीना देख देख कर मुस्कुरा रही थी।
सरीना बोली- अतुल जी, आपको मैंने गाण्ड मारने का मास्टर बना दिया है, एक बार हमें हमारी रेखा कुतिया की दुबारा गाण्ड मारकर दिखाओ, सच अपने शागिर्दों को दूसरे की बीवियों की मारते देखकर मुझे बहुत सुख मिलता है।
हम लोगों ने अपने लण्ड बाहर निकाल लिए। रेखा मुस्कुराते हुए पलंग पर गाण्ड ऊंची करके लेट गई। अतुल ने रेखा की गाण्ड में ऊँगली को गोल करके घुसा दिया और उसकी गाण्ड के छेद को चौड़ा कर के अपना लण्ड छुला दिया और उसमें अपना लण्ड घुसा दिया।
रेखा ऊई ऊह ओह करके चिल्ला उठी, लेकिन यह सरीना के सिखाने का असर था कि लण्ड गाण्ड में दो मिनट के अंदर पूरा घुस चुका था और अतुल एक अच्छे खिलाड़ी की तरह रेखा की गाण्ड चोदने लगा।
रेखा की मज़े से भरी सिसकारियाँ निकल रही थीं, बीच बीच में उसके चूतड़ों पर कस कर हाथ भी मार रहा था।
कुछ देर बाद अतुल रेखा की गाण्ड में लण्ड घुसाए बिस्तर पर गिर गया, उसने करवट ली तो रेखा उसके बदन के ऊपर थी, लण्ड रेखा की गाण्ड में घुसा हुआ था, उसने रेखा की टांगें चौड़ी कर दी थीं। सामने रेखा की फटी चूत खुली हुई थी, उसके नीचे गाण्ड में अतुल का लण्ड घुसा हुआ था और अतुल उसकी गाण्ड मार रहा था साथ ही साथ रेखा के चुचूक अतुल नोचे जा रहा था।
सरीना बोली- रेखा जी, आपको आज राजीव और अतुल के बीच सेंडविच बनवाती हूँ। राजीव, आप देख क्या रहे हो? इसकी चूत मारो, देखो, आपका इंतजार कर रही है।
मेरा लण्ड तना हुआ था, मैंने देर किये बिना अपना लण्ड रेखा की चूत में पेल दिया। अब रेखा के दोनों छेदों में लण्ड घुसे थे, अतुल और मैं दोनों रेखा को एक साथ चूत और गाण्ड में चोद रहे थे।
रेखा दर्द से चिल्ला रही थी, सरीना सिगरेट पीते हुए बोल रही थी- रेखा, ऐसा मज़ा घरेलू औरतों को बार बार नहीं मिलता ! चुदने के मज़े ले ले ! रंडी बनी बहुत सुन्दर लग रही है।
हम दोनों ने दस मिनट साथ साथ रेखा को चोदा फिर उसकी गाण्ड और चूत एक साथ वीर्य से भर दी।
हम सब लोग अब थके हुए बिस्तर पर लेट गए, सरीना चाय बनाने चली गई। चाय पीने के बाद रेखा सरीना से चिपक गई और बोली- सरीना, आपने मस्त कर दिया ! सच बहुत मज़ा आया। मैं आपको हमेशा याद रखूँगी।
सरीना मुस्कुराते हुए बोली- राजीव जी बहुत अच्छे आदमी हैं, इनका फ़ोन नंबर ले लो, कभी कभी इनसे भी चुदवाती रहना।
रेखा बोली- इनसे तो मुझे हर महीने चुदवाना है, इनके लण्ड ने जो मुझे चूत चुदाई का मज़ा दिया है वो तो मैं भूल ही नहीं सकती। लेकिन यह सब उमा और आपके कारण हुआ है। आई लव यू सरीना !
सरीना बोली- चलो आप लोग नहा धोकर तैयार हो जाओ और अपने घर जाओ ! अगले रविवार को, रेखा, मन हो तो मेरी खोली पर आना, वहाँ से होटल अमर ले चलूँगी, तीन-तीन अमीरजादों के लण्डों से मज़ा लेना एक साथ ! ऊपर से दस हजार रुपए और मिलेंगे।
इसके बाद अतुल और रेखा तैयार होकर एक बजे के करीब अपने घर के लिए निकल गए।
सरीना उनके जाने के बाद मेरे पास आई और आँख मारते हुए मुस्कुरा कर बोली- राजीव जी, मज़ा आ गया?
मैंने कहा- सच सरीना ! आज जितना मज़ा कभी नहीं आया।
सरीना हँसते हुए बोली- अब कल के मैच के लिए तैयार हो जाइये ! कल आपको रुचि जी को बजाना है, रुचि आपकी सहेली है, प्यार से उनकी लेना ! उन्होंने आज तक अपने पति के अलावा किसी और से नहीं चुदवाई है।
मैंने पूछा- कल कितने बजे अतुल जी के यहाँ जाना है?
सरीना मुस्कुराते हुए बोली- आप भी कितने सीधे हैं? अगर अतुल जी के यहाँ रुचि गई तो अतुल जी भी तो रुचि की चोद देंगे ! आपने भी तो उनके माल की खूब मारी है। कल आपको मैं उमा की खोली में ले चलूँगी, वहाँ रुचि आपको मिलेगी, वहीं उसकी चूत आप मारना और लण्ड चुसवाना। उमा 50 साल की है और वो दस साल रंडी रह चुकी है, वो आपको और रुचि को चुदाई के बढ़िया गुर सिखाएगी और रुचि को लण्ड का शौकीन बना देगी।
इसके बाद सरीना मुझे एक पप्पी देकर अपने घर चली गई।
अगले दिन सरीना बारह बजे आ गई उसके साथ ऑटो करके मैं धारावी में उमा की खोली पर आ गया। उमा एक 50 साल की औरत थी। अंदर रुचि एक गरीबों जैसी साड़ी पहन कर बैठी थी। उमा चाय बना लाई।
सरीना ने बताया कि उमा इसे अपनी भतीजी बना कर लाई है।
रुचि मुझे देखकर शरमा रही थी।
उमा बोली- इतना क्यों शरमा रही हो? फ़ोन पर तो बात कर चुकी हो ! तुम्हारा पुराना यार है। लो चाय पियो !
रुचि मुझे देखकर अब भी शरमा रही थी, हम चार लोग ही कमरे में थे।
उमा रुचि की तरफ देखते हुए सरीना से बोली- बहुत शरमा रही है, कल 12 बजे से पहले नहीं छोडूंगी तेरी चूत की भोंसड़ी बनवानी है, थोड़ी देर और शरमा ले।
उमा बोली- सरीना, यह बहुत शर्मीली है, इसे सबके सामने नंगा करवाऊँगी और चुदवाऊँगी, नहीं तो कुतिया स्मार्ट नहीं बन पाएगी।
रुचि शरमाते हुए मुस्कुरा रही थी।
कहानी का अगला भाग "रुचि का शिकार" जल्दी आपको पढ़ने को मिलेगा।